चंडीगढ २८ सितंबर, २०१४: शरदीय नवरात्रों के पवित्र दिनों में चंडीगढ़ के विभिन्न स्थानों पर धार्मिक व संस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं। इसी उपलक्ष में सै1टर २०, सै1टर २८, सै1टर ३०, सै1टर ४० और धनास की रामलीला मंडलों द्वारा रामलीला का आयोजन किया जा रहा है। जिसमें स्थानीय सांसद किरण खेर और भारतीय जनता पार्टी चंडीगढ़ के प्रदेशाध्यक्ष श्री संजय टंडन मु2य अतिथि के रूप में आमंत्रित हुए। इस अवसर पर हीरा नेगी, प्रेम कौशिक, चन्द्र शेखर, राजेश गुप्ता, श1ित प्रकाश देवशाली, अमित राणा, विनोद सिसोदिया, प्रदीप बंसल, स्वराज उपाध्याय, मुकेश राय, सैलेन्द्र सलैच, राजपाल डूगर, कृष्ण कुमार आदि उपस्थित थे।
इस अवसर पर स्थानीय सांसद किरण खेर ने रामलीला कमेटी के सदस्यों का धन्यवाद किया और कहा कि यह देखकर बहुत खुशी हो रही है कि आज भी हमारे देश में रामलीला को बहुत उत्सुकता से देखते हैं। बच्चे, बुजूर्ग, युवा सभी रामलीला का आनन्द लेते हैं। उन्होंने लोगों से आहृवान किया कि रामलीला को देखकर सिर्फ आनन्द मत लीजिए इसे अपने जीवन में भी उतारिये। हम खुश नसीब हैं कि हमने ऐसी भूमि पर जन्म लिया जिसके कण-कण में भगवान बसते हैं। हमारा देश युगों-युगों से गुरूओं, महात्माओं और संतो का देश रहा है। हमें आज अपनी संस्कृति के साथ जुड़े रहने की बहुत जरूरत हैं और तभी हो सकता है जब हम ऐसे धार्मिक कार्यों में जाकर अपने मन को शुद्ध रखे और अपने भावी पीढ़ी को भी अपनी संस्कृति का बोध करवायें।
इस मौके पर प्रदेशाध्यक्ष श्री संजय टंडन ने कहा कि मर्यादा पुरूषो8ाम भगवान श्री राम चन्द्र के आर्दशों पर चलना चाहिए और भारतीय सांस्कृति उत्थान व प्रचार के लिए कार्य करने चाहिए। उन्होनें हर्ष व्य1त करते हुए कहा कि आज के टीवी और सिनेमा के युग में भी इतनी सं2या में लोग रामलीला देखने आ रहे हैं। इससे यह प्रतित होता है कि मर्यादा पुरूषो8ाम श्री राम आज भी युवा पीडि और बच्चों के मन में बसते हैं।
उन्होंने कहा कि हमारे भारत देश में माँ का उच्च स्थान हैं। यहाँ पर माता की प्रत्येक रूप में पूजा होती है। वास्तव में माता के पाँच रूप हैं। दुर्गा माता, धरती माता, गऊ माता, भारत माता और जन्मदानी माता। भले ही हम सभी सांसारिक सुख सुविधाओं की प्राप्ति कर लें, परन्तु वह सभी व्यर्थ है यदि हम अपनी जननी की सेवा आदर न कर सके। उन्होनें कहा कि जिस प्रकार भगवान श्री राम चन्द्र ने अपनी सौतेली माता कैकेई के कहने पर १४ वर्षों का बनवास काट कर एक आर्दश पुत्र होने का संदेश दिया। ठीक उसी प्रकार से हम सभी को भी अपने माता-पिता की आज्ञा का पालन एवं उनकी सेवा करनी चाहिए। इसी प्रकार से न केवल हम अपनी सांस्कृति से जुड़े रहेंगे बल्कि हमारी आने वाली पीढ़़ी को भी इसे संजोकर रखने के लिए प्रेरित करेंगे। किसी देश की सांस्कृति ही उस देश की पहचान होती है। भारत के वेदपुराण इत्यादि सभी ग्रंथों में माता और नारी को स्र्वोच स्थान प्राप्त है।
उसकी प्रत्येक रूप में पूजा होती है। दुर्गा अष्टमी के दिवस पर भी नारी की कन्या पूजन द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। उन्होनें रामलीला कमेटी के सभी सदस्यों को इसके सफल आयोजन किये जाने पर बधाई दी और उनकी भरपूर प्रशंसा की।